इंदौर के कमिश्नर और कलेक्टर मान लें कि प्रशासन शहर में कहीं चूक रहा है। सभी राजनीतिक दलों के नेता आगे आएं और प्रशासन उनके साथ मिलकर काम करें। नेताओं को दरकिनार करके प्रशासन काम नहीं कर सकता। इस संकटकाल में अपने को हीरो बनने की महत्वाकांक्षा पाले अधिकारी वास्तविकता से क्यों अंजान है? वे क्यों जनप्रतिनिधियों से सहयोग नहीं ले रहे हैं? क्या ऐसा करने से उनकी शान कम हो जाएगी? इंदौर में कोरोना के मरीजों के आंकडे ऐसे ही बढते रहे तो लोग शहर छोड़ कर भागने लगेंगे।
प्रशासन शहर जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संगठनों और प्रबुद्ध नागरिक डाक्टरों की बैठक बुलाए तद्नुसार काम करे। लोकसभा व विधानसभा चुनाव के लिए प्रशासन द्वारा बनाई गई पोलिंग बूथ की व्यवस्था को कोरोना से लडने के काम में लाया जाए। इस व्यवस्था में अधिकारी डाक्टर जनप्रतिनिधि राजनीतिक दलों के कार्यकताओं और नागरिकों को शामिल करे। वॉर्ड स्तर पर कोरोना की रोकथाम के लिए लाकडाउन का बंदोबस्त किया जाए। मुस्लिम क्षेत्रों में मुस्लिम नेताओँ को सक्रिय किया जाए। यह काम पहले कर लिया जाता तो आज मुस्लिम इलाकों में जो समस्या आ रहीं है वह नही आती। इससे बहुत सारा मानवश्रम और प्रशासनिक समस्याएँ कम हो जाती।
*आशुतोष बाजपेई*
वरिष्ठ पत्रकार