अतिआवश्यक :
भोपाल/इंदौर/उज्जैन प्रशासन कंटेनमेंट एरिया को कॉलोनी या वार्ड के रूप में चिन्हित करके ट्रीट करेगा तो वह त्रुटिपूर्ण/अवैज्ञानिक ही होगा।
वायरस कॉलोनी या वार्डशः नहीं फैलता है।
हमें WHO के वैज्ञानिकों द्वारा तय 2 किलोमीटर के भौमिक दायरे के मानक को ही मानना चाहिए।
दो मकान दो कॉलोनी/वार्ड में हो सकते हैं जबकि उनके बीच एक गली का फासला हो जिसे वायरस नहीं जानता साहब !
एक पॉसिटिवि घर से 2 किलोमीटर का दायरा तय प्रोटोकॉल से ट्रीट करिए नहीं तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।
*पुनश्च : वायरस प्रशासनिक/राजस्व इकाई को नहीं मानता साहब*
उम्मीद है शायद मैं कुछ समझा पाया होंगा।
(यह पोस्ट एक वरिष्ठतम विशेषज्ञ की सलाह पर चेताने हेतु लिखी है जो खुद प्रादेशिक स्तर पर लगभग 10 साल एसे अभियान चला चुके हैं। मुझे लगा बिना उनका नाम लिखे मध्यप्रदेश को बचाने हेतु उनका यह विचार उपयोगी होगा। बाकी भगवान भला करे)
*डॉ. हितेष वाजपेयी*