धार जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधकारियों की लापरवाही के कारण बढ़ी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या।

*जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण बढ़ी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या*


*जिला अस्पताल के प्रवेश द्वार पर हो कोविड-19 की प्रारंभिक स्क्रीनिंग*


*एसएनसीयू की प्रभारी सिस्टर नम्रता की हठधर्मिता के कारण कर्मचारी हुए मजबूर व परेशान, नवजात शिशुओं की जान को बढ़ा खतरा!*


राकेश साहु, दैनिक स्वतंत्र एलान, जिला ब्यूरो धार


धार। जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण कोरोना वायरस के मरीजो की संख्या में वृद्धि हो रही हैं। औऱ अस्पताल के चार कर्मचारी कोरोना वायरस से पीढ़ित हो गए हैं। जिससे आम आदमी जिला अस्पताल जाने से घबराने लगा है। कोरोना वायरस को लेकर राज्य सरकार ने आइसोलेशन वार्ड को रहवासी क्षेत्र से तीन किमी की दूरी पर बनाने के निर्देश दिए हैं किन्तु जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियो ने जिला अस्पताल परिसर में टी वी वार्ड, बर्न वार्ड, एवं पी एम रूम के पास बने नए डॉक्टर क्वार्टर को ही अस्थाई आइसोलेशन वार्ड बना दिया था। जिला अस्पताल के आसपास रहवासी क्षेत्र हैं और इसका विरोध भी जिला अस्पताल के आसपास के लोगों ने भी किया था किंतु अस्पताल प्रबंधन ने यह कहकर समझा दिया कि यहाँ तो सिर्फ संकृमित रोगियों को ही रखा जाता है। 
         इन्हीं संक्रमण रोगियों की जाँच रिपोर्ट बाद में पॉजिटिव आ रही हैं। जिससे अस्पताल के कर्मचारी कोरोना वायरस से पीढ़ित हो गए और ये कर्मचारी जिला अस्पताल परिसर में सम्पूर्ण वार्डों में घूमते रहते हैं। जाँच रिपोर्ट को आने में समय लगता है जब तक कई लोग सम्पर्क में आ चुके होते हैं। जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी अगर आइसोलेशन वार्ड को रहवासी क्षेत्र व जिला अस्पताल से तीन किलोमीटर दूर कहीं भी बना देते तो हालात आज इतने गंभीर नहीं होते।आज जिला अस्पताल के दो स्वीपर व दो नर्स कोरोना वायरस की चपेट में आ गये है। अब जिला अस्पताल के कर्मचारी जो ड्यूटी कर रहे है वह भयभीत व चिंतित नजर आ रहे हैं।जबकि जिला प्रशासन ने एक छात्रावास को अधिग्रहहित कर रखा है औऱ नगर के पूर्व विधायक, समाजसेवी बालमुकुंद सिंह गौतम ने भी शहर से दूर उनका निजी विद्यालय को आइसोलेशन वार्ड के लिए देने को भी कहा था। आइसोलेशन वार्ड जो रहवासी क्षेत्र व जिला अस्पताल परिसर से अन्य जगह पर स्थानांतरित किया जावे, नहीं तो सम्पूर्ण जिला अस्पताल ही कोरोना वायरस से संक्रमित हो जायेगा। तथा जिला अस्पताल के प्रवेश द्वार पर कोविड-19 की प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जाँच की जावे। प्रत्येक आने जाने वाले लोगों की जाँच करने के उपरांत ही जिला अस्पताल में प्रवेश दिया जावे।
       अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसएनसीयू वार्ड के स्वीपर की विगत दिनों से तबीयत खराब चल रही थी और वह ड्यूटी पर आना नहीं चाहता था और अवकाश लेना चाहता था किंतु एसएनसीयू की प्रभारी सिस्टर नम्रता ने सभी कर्मचारियों को धमकी दी हैं कि सभी को ड्यूटी पर आना पड़ेगा और नहीं आये तो वेतन काटने की धमकी दी थी औऱ नोकरी से हटा देने के लिए भोपाल विशाल से शिकायत करने की धमकी दी जाती थी। इन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मात्र 5-6 हजार रुपये का अल्पवेतन ही मिलता है। वेतन कटने के डर के कारण मजबूर होकर बीमारी की अवस्था में भी ड्यूटी पर देर से आ रहा था और काम कर रहा था। एसएनसीयू के कर्मचारियों को उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जो बीमार चल रहा था उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण स्पष्ट नजर आ रहे थे। उसे ड्यूटी पर आने से रोका भी गया था किंतु प्रभारी सिस्टर नम्रता के डर के कारण उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ड्यूटी पर आया और बाद में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई जब तक उसके संपर्क में एसएनसीयू की दो स्टाफ नर्स भी आ चुकी थी। अगर उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अवकाश दे दिया जाता तो एसएनसीयू की दो सिस्टर भी पॉजिटिव होने से बच जाती। एसएनसीयू के प्रभारी चिकित्सक को ही सूचना नहीं थी कि इन कर्मचारियों के सेम्पल जाँच के लिए गये हैं अन्यथा इन कर्मचारियों की जांच रिपोर्ट आने तक इन्हें ड्यूटी से मुक्त रखा जाता। अथवा सावधानी बरती जाती।


*नवजात शिशुओं की जान को हुआ खतरा*
           एसएनसीयू वार्ड में सिर्फ एक दो दिन के नवजात शिशु के अलावा स्टाफ की सिस्टर, डॉक्टर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही रहते हैं औऱ इन नवजात शिशु की सम्पूर्ण देखरेख सिस्टर ही करती हैं और अगर यह सिस्टर ही संक्रमण की शिकार हो चुकी है तो नवजात शिशुओं की जान को खतरा तो हो चुका है। जबकि एसएनसीयू में बाहरी व्यक्ति को अन्दर प्रवेश नहीं दिया जाता हैं, यहां तक कि इन शिशुओं की माँ को भी स्तनपान कराने के लिए अंदर नहीं जाने दिया जाता हैं क्योंकि एक दो दिन के नवजात शिशुओं को संक्रमन का खतरा अधिक रहता है।