* इंदौर में पूर्व में पदस्थ रहे अधिकारियों की कोर कमेटी को करे तैनात *

कोरोना संकट: इंदौर में पूर्व में पदस्थ रहे अधिकारियों की कोर कमेटी को करे तैनात
रमण रावल 


देश के सबसे स्वच्छ शहर, मुंबई का बच्चा या मिनी मुंबई,प्रदेश का सबसे बड़ा शहर और आर्थिक राजधानी या प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले जैसे तमगों से सुशोभित शहर इंदौर के साथ एक और विशेषण जुड़ गया, लेकिन यह गर्व करने लायक नहीं बल्कि चिंता करने और अफसोस करनेे जैसा है। देश में सबसे तेजी से कोरोना संक्रमित होता शहर बन चुका है इंदौर। आखिरकार यह कैसे हुआ और कौन जवाबदार है, इस पर मंथन करने का न तो यह वक्त है, न औचित्य। इतना जरूर है कि अब इससे निपटने के लिए नई रणनीति बनाई जानी चाहिए। अब जिस तरह से कहीं पर आपातकालीन परिस्थितियों में सेना की तैनाती की जाती है, ठीक उसी  तरह से प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य महकमे के अनुभवी, इंदौर में रह चुके, लेकिन इस समय कहीं अन्यत्र तैनात व सेवा निवृत्त भी हो चुके अधिकारियों की बड़ी टीम को तत्काल इंदौर में तैनात किया जाना चाहिए। यह वे अधिकारी हैं जो ना सिर्फ इंदौर की तासीर को जानते हैं वरन उनके अपने क्षेत्र के अनुभव इस संकट के समय काफी मददगार साबित हो सकते हैं। साथ ही इंदौर शहर को कम से कम चार जोन में बांटकर उसी तरह से प्रभारी कलेक्टर, एसपी व स्वास्थ्य अधिकारी पदस्थ किए जाने चाहिये जैसे जिले में तैनात किए जाते है।  समूचे शहर के बीच समन्वय करने के लिये संभव हो तो बतौर नोडल अधिकारी  मुख्य सचिव अथवा अपर मुख्य सचिव स्तर के किसी अधिकारी को पदस्थ किया जा सकता है। यह अधिकारी गोपाल रेड्डी से लेकर  स्वयं अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान हो सकते हैं। ये दोनों  अधिकारी किसी समय इंदौर के कलेक्टर रह चुके हैं। 
        इंदौर में कोरोना संक्रमित का आंकड़ा बहुत तेजी से एक हजार के नजदीक आता जा रहा है। आने वाला समय पूरी तरह चुनौतीपूर्ण रहेगा। ऐसे में पूरी रणनीति में आमूलचूल परिवर्तन किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। इंदौर जिले की सघन आबादी को देखते हुए प्रत्येक हॉटस्पॉट के लिए पूरी अलग से टीम तैनात की जानी चाहिए। जिस तरह से कहीं पर आपातकालीन परिस्थितियों में सेना की तैनाती की जाती है, ठीक उसी  तरह से प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य महकमे के अनुभवी, इंदौर में रह चुके, लेकिन इस समय कहीं अन्यत्र तैनात व सेवा निवृत्त भी हो चुके अधिकारियों की बड़ी टीम को इन हॉटस्पॉट में तैनात किया जाना चाहिए। प्रत्येक हॉटस्पॉट का प्रभारी एक वरिष्ठ आईएएस और उसके नीचे आईपीएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के 3-4 अधिकारी के साथ ही डॉक्टरों की टीम हो। ऐसे में सहज यह प्रश्न उठता है कि यह अधिकारी कहां से आएंगे ? मेरा मानना है कि ऐसे अधिकारी और डॉक्टर जो कभी इंदौर में पदस्थ रहे हो चाहे सेवानिवृत्त हो चाहे वर्तमान में कहीं और पदस्थ हो, उनकी सेवाएं इस कार्य के लिए तत्काल ली जाना चाहिए।
     इसमें कोई दो राय नहीं कि संभाग के कमिश्नर आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर मनीष सिंह,डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा व नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह पूरे सामर्थ्य से 24x7 व्यवस्थायें संभाले हुए हैं। पूरी मेहनत और समर्पित भावना से जुटे हुए हैं, किंतु 30 लाख के शहर के अलग-अलग हिस्सों से जो संक्रमित लोगों का सैलाब बहा चला आ रहा है, वह किसी छापामार युद्ध से कम नहीं है। इसलिये सेना की तैनाती भी चारों दिशा में करना होगी और आसमान से भी लड़ाके उतारने जरूरी हो जाते हैं, ऐसा मामला है।
    इंदौर ऐसा शहर रहा है, जो नेताओं के लिये ही नहीं बल्कि प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं के अधिकारियों के लिये भी सपनों का शहर रहा है। चूंकि इस वक्त उनका सपनीला शहर संकट में है तो यह उनकी भी जवाबदारी है कि वे इसकी तीमारदारी में लग जायें। सिलसिलेवार देखें तो प्रशासनिक अधिकारियों में पूर्व मुख्य सचिव एस आर मोहंती,और गोपाल रेड्डी, अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव,  प्रमुख सचिव डा राजेश राजौरा ,  नीरज मंडलोई, राघवेन्द्र सिंह, आनंद शर्मा,महेश चौधरी, गौतम  सिंह, रजनीश श्रीवास्तव, प्रमोद गुप्ता, रेणु पंत, उमाशंकर भार्गव, राकेश सिंह, जैसे अनेक नाम हो सकते हैं। सेवानिवृत अधिकारियों में मदनमोहन उपाध्याय से लेकर राकेश श्रीवास्तव तक की सेवाएं ली जा सकती हैं।
    ऐसे ही पुलिस अधिकारियों में आदर्श कटियार, अनुराधा शंकर,राजेंद्र कुमार,रुचिवर्धन मिश्रा,अजय शर्मा, महेंद्र सिकरवार, राजेश हिंगणकर, अविनाश शर्मा, धर्मेंद्र चौधरी(सेवानिवृत्त), अवधेश गोस्वामी, आकाश जिंदल, दिलीप सोनी, जितेंद्र सिंह, मनोज श्रीवास्तव, हरीश मोटवानी आदि नाम हो सकते हैं। 
और भी कई इंदौर से जुड़े और इंदौर में रह रहे आईएएस और आईपीएस अधिकारी हो सकते है जिन्हे इस काम में लगाया जा सकता है।
   स्वास्थ्य विभाग से भी ऐसे नाम सामने आ सकते हैं, जो इस समय अपनी सेवायें दे सके। इनमें पूर्व अधिकारियों के साथ शहर में निजी प्रेक्टिस कर रहे चिकित्सक भी लिये जा सकते हैं। इनमें अपूर्व पौराणिक, शरद पंडित, अशोक शर्मा, डी.के.तनेजा, सलिल भार्गव आदि  के साथ-साथ विभिन्न नर्सिंग होम से संबद्ध तथा स्वतंत्र रूप से प्रेक्टिस कर रहे डॉक्टर्स की सेवायें ली जाना चाहिये। सरकार इस समय सेवारत लोगों को तो आसानी से इंदौर में पदस्थ कर ही सकती है। साथ ही सेवा निवृत्त या निजी तौर पर काम कर रहे अधिकारियों , डॉक्टर्स  की सेवायें लेना हो तो उनकी रजामंदी से मानद या सशुल्क सेवा भी ली जा सकती है। साथ ही जो जूनियर डॉक्टर्स और मेडिकल छात्र ,फिजियोथैरेपी के छात्र लॉक डाउन के  चलते घर चले गए थे , उन्हें लौटना अनिवार्य कर देना  चाहिए , जिस तरह युद्ध काल में सैनिकों के लिए कर दिया जाता है। यह मानवता की वायरस के खिलाफ जंग ही है। 
    इस प्रकार प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अनुभवी  लोगों की टीम बनाकर उन्हें अपने-अपने इलाके की स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी देकर समूचे शहर के लिये एक नोडल अधिकारी बनाकर  कार्य योजना बनाई जा सकती है। यह नोडल अधिकारी मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव स्तर का हो सकता है जो इंदौर में रहकर पूरे अधिकारों के साथ इस कार्य को इस तरह अंजाम दें कि उसे निर्णय लेने की पूरी छूट हो।   कोरोना महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी बातों के अलावा अपने क्षेत्राधिकार के इलाके में राशन-पानी के वितरण की जिम्मेदारी, कब,कितनी छूट देना या नहीं देना है, इसका निर्धारण करना और उस इलाके में किसे दाखिल होने देना और किसे बाहर जाने की अनुमति देने के काम भी इस टीम के जिम्मे होना चाहिये।
   यदि इंदौर मेेें अब इससे अधिक संक्रमण के फैलाव को रोकना है तो तयशुदा प्रशासकीय व्यवस्था में तो यह बेहद जटिल और लंबी अवधि का काम हो जायेगा। जो हालात इंदौर में हैं, वे इतने विचित्र हैं कि अभी प्रशासन को संभावित व्यक्ति तक पहुंचने के लिये कई बार पुलिस का सहारा लेना पड़ रहा है। साथ ही गरीब, रोजनदारी करने वाले, सडक़ किनारे जीवन यापन करने वाले और अपने गांव न लौट पाने वाले लोगों को रोजमर्रा के भोजन,राशन की जवाबदारी भी निभाना पड़ रही है। साथ ही पूरे शहर में दूध, सब्जी व राशन की आपूर्ति भी सुगम बनी रहे, वह व्यवस्था भी देखना पड़ रही है।
   इसी के साथ शहर के विभिन्न सामाजिक संगठन और सेवाभावी व्यक्तियों को भी जोड़कर उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती है, जिसे वे सहर्ष लेने को तैयार बैठे हैं, लेकिन अभी इनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। होना यह चाहिए कि तैयार भोजन  पैकेट और सूखे अनाज के पैकेट के वितरण का     काम पूरी तरह से स्वयंसेवी संगठनों को दे देना  चाहिए।  इंदौर में वैष्णव ट्रस्ट, गुजराती समाज , गुरु सिंह सभा , अ. भा. वैश्य महासभा , बोहरा समाज , मुस्लिम समाज , अभ्यास मंडल जैसी संस्थाओं के साथ  राष्ट्रीय स्वयं संघ को यह जिम्मेदारी दे देने से प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग पूरी ताकत से कोरोना  केंद्रित हो जायेगा , जिससे उस पर जल्द नियंत्रण पाना अपेक्षाकृत आसान हो जायेगा।  
   इस समय जितनी भी प्रशासनिक, पुलिस, स्वास्थ्य, नगर निगम की टीम है, वह अपने तईं भरपूर काम कर रही है। फिर भी 24 घंटे में एक व्यक्ति के काम करने की सीमा होती है, जो हर रोज एक जैसी नहीं हो सकती। उन्हें भी बीच-बीच में आराम की जरूरत होती है। नई टीम बनने से यह प्रक्रिया आसान भी हो जायेगी और कहीं कोई छेद भी नहीं छूटेगा।