*महाराष्ट्र के पालघर में उन्मादी भीड द्वारा 2 संतों की बर्बरता से हत्या*

*-महाराष्ट्र में सियासी भूचाल*


मुम्बई के पास पालघर के कासा थाना क्षेत्र में 100 से ज्यादा लोगों ने दो हिन्दू संतो और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग करके हत्या कर  दी।


रात जब यह घटना हुई तब पुलिस भी वहाँ मौजूद थी पर भीड़ को रोक नहीं पाई….तीनों मृतक की पहचान उत्तरी मुंबई के कांधीवली निवासी कल्पवृक्षागिरि महाराज, सुशीलगिरि महाराज और उनके कार चालक निलेश तेलगाड़े के रूप में हुई है… ये तीनों अपनी गाड़ी से किसी की अंत्येष्टि में शामिल होने सूरत, गुजरात जा रहे थे….कहा जा रहा है चोरी के संशय में तीनों को पिट पिट कर मार डाला गया..!


महाराष्ट्र के पालघर के दहाणु तालुका के एक आदिवासी बहुल गडचिनचले गाँव में सैकड़ों लोगों की भीड़ द्वारा जूना अखाड़ें के दो संतों और उनके ड्राइवर की पुलिस के सामने ही बड़ी बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। घटना की जानकारी होते ही संत समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है कि कैसे महाराष्ट्र पुलिस के सामने दो महात्माओं और उनके ड्राइवर की इस तरह से हत्या कर दी जाती है और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है।


महाराष्ट्र के पालघर में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हत्या के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की


जूना अखाड़ा के 2 महंत कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70 वर्ष), महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे (30 वर्ष) के साथ मुंबई से गुजरात अपने गुरु भाई को समाधि देने के लिए जा रहे थे। दरअसल, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा 13 मंडी मिर्जापुर परिवार के एक महंत राम गिरी जी गुजरात के वेरावल सोमनाथ के पास ब्रह्मलीन हो गए थे। दोनों संत महाराष्ट्र के कांदिवली ईस्ट के रहने वाले थे और मुंबई से गुजरात अपने गुरु की अंत्‍येष्टि में शामिल होने जा रहे थे।


गुरु के देहावसान के बाद अचानक से मिर्जापुर परिवार के कुछ सन्तों को वहाँ बुलाया गया था ताकि महात्मा जी की समाधि लगाई जा सके। जिनमें से उसी परंपरा के दो संत महंत कल्पवृक्ष गिरी जी महाराज और दूसरे महंत सुशील गिरी जी महाराष्ट्र से गुजरात के वेरावल के लिए रवाना हुए रास्ते में उन्हें महाराष्ट के पालघर जिले में स्थित दहाणु तहसील के गडचिनचले गाँव में पालघर थाने के पुलिसकर्मियों ने पुलिस चौकी के पास रोका।


ड्राइवर के साथ दोनों संतों को भी गाड़ी से बाहर निकलने के लिए कहा गया और उन लोगों को पुलिस वालों ने, सड़क के बीच में ही बैठा दिया, कहा जा रहा है वहाँ गाँव के करीब 200 के आस पास लोग अचानक ही इकट्ठे हो गए। यह गाँव और इलाका आदिवासी बहुल है।


यह भी कहा जा रहा है कि जूना अखाड़े के उन दोनों सन्तों और ड्राइवर को, पुलिस वालों ने डर के कारण एक तरह से उन आदिवासियों के हवाले कर दिया और इस भीड़ ने, पुलिस वालों के सामने ही डंडे और पत्थरों से मार-मार कर दोनों सन्तों और ड्राइवर की बेरहमी से हत्या कर दी। अभी तक जो वीडियो फुटेज उपलब्ध हैं उसमें आप पुलिस वालों की मौजूदगी देख सकते हैं। मॉब लिंचिंग होता देख पुलिस खुद ही चिहुँक रही है। ऐसे में महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।