इंदौर। कोरोना महामारी के चलते इंदौर में फैली बीमारी के अध्ययन और वर्तमान हालातों का जायजा लेने हेतु केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए दल के सदस्यों अभिलक्ष्य लिखी अतिरिक्त सचिव भारत सरकार, डॉक्टर जुगल किशोर विभागाध्यक्ष मेडिकल, डॉक्टर अनिल रंगा स्वास्थ्य संचालक, नवल प्रकाश संयुक्त सलाहकार एनडीएमए, श्रीमती सिमरजीत कौर संचालक खाद्य भारत सरकार
ने जब जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सुझाव मांगे तो पूर्व सांसद श्री कृष्ण मुरारी मोघे द्वारा भी गंभीर विषय पर सुझाव दिए।
सर्वप्रथम श्री मोघे ने अस्पतालों में विलंब से हो रही जांच का विषय प्रमुखता से रखा उनका कहना था कि जो मरीज संक्रमित हैं या जिनमें कुछ लक्षण पाए जाते हैं उनकी जांच समय पर और शीघ्रता से हो जाना चाहिए नहीं तो उसके परिवार और अन्य संपर्क वाले लोगों में भी यह बीमारी बहुत जल्द फैलने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा अगर जांच के लिए सैंपल प्रयोगशाला की क्षमता से ज्यादा आते है और परिणाम आने में विलंब हो रहा है तो प्राइवेट लेबोरेट्रीज का भी सहयोग लिया जाना चाहिए।जिन अस्पतालों को रेड, येलो और ग्रीन श्रेणी में रखा गया है वहां भर्ती मरीजों की नियमित जांच हेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों का दल बना कर निरीक्षण होना चाहिए ।
श्री मोघे ने कहा हम फार्मा के हब के रूप में अपनी पहचान रखते है । देश दुनिया में हम दवाईयों की आपूर्ति करने वाले आज शहर के नाम से भी जाने जाते है लेकिन सामान्य तौर पर कुछ बीमारियों की नियमित दवाइयां लेनी होती है वह भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है। संसाधनों और मौजूदा फैक्टरीज की क्षमता के आधार पर ही हमें उत्पादन सुचारू करने पर जोर देना चाहिए ।
आज देश के अन्य शहरों से आवश्यक चीजों को परिवहन में जांच के नाम पर कई कई घंटे विलंब हो रहा है जबकि लॉक डाउन के चलते सड़कों पर यातायात कम है और वाहन बिना बाधा के कम समय में पहुंचने की बजाय विलंब से गंतव्य पर पहुंच रहा है इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
इंदौर शहर में वितरित हो रहे खाद्यान्न ,भोजन और राशन के विषय पर भी ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा वास्तविक जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाना पुनः सुनिश्चित करना चाहिए।
*मालवा निमाड़ के किसानों की* चिंता करते हुए श्री मोघे ने कहा कि एक तरफ शहरवासी सब्जियों ,फलो को तरस रहा है वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी उपज और पैदावार को खेतों में ही नष्ट कर रहा है ,अपने मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हो रहा है इससे किसान आर्थिक रूप से गरीब और कमजोर हो सकता है। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन कोरोना पर विजय पाने और उससे निजात पाने का हल नहीं है जिन क्षेत्रों में या जिन कालोनियों में बीमारी के लक्षण वाले मरीज नहीं पाए जा रहे हैं उन कॉलोनियों को भी सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए रणनीति बनाना चाहिए ,क्योंकि यदि इसी तरह लॉक डाउन रहा तो लॉक डाउन खुलने पर अत्यधिक भीड़ और अफरा-तफरी का सामना करना पड़ सकता है जो कि शासन-प्रशासन के लिए मुसीबत पैदा कर देगा ऐसे सुरक्षित इलाको में छूट देने की कार्य योजना बनाने का सुझाव दिया।
उन्होंने उद्योगों और फैक्ट्रियों के मालिकों की चिंता करते हुए सुझाव दिया कि यदि किसी कार्य स्थल या फैक्ट्री में कोरोना बीमारी के लक्षण वाले मरीज पाए जाते हैं तो प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई की जाने की बात सामने आई है ,अगर ऐसा होगा तो कोई भी उद्योगपति या फैक्ट्री, मालिक अपनी उद्योग इकाई को चालू नहीं करेगा इसलिए इस विषय पर भी संशोधित करके कर्मचारियों को जांच और पूर्ण परीक्षण उपरांत मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर फैक्ट्री में कार्य के लिए भेजना चाहिए।
और अंत में सबसे अहम सुझाव जो दिल्ली की टीम लेकर गई है वह यह है कि वर्तमान समय में देश भर की जनता को कोरोना बीमारी ना फैले इसके लिए आम जन को शिक्षित करने पर जोर देकर उन्हें प्रशिक्षित (अवेयर) करने की आवश्यकता पर प्रबल रूप से ध्यान आकर्षित किया। श्री मोघे के इन सब सुझाव को केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई टीम ने गंभीरता पूर्वक नोट किया और विश्वास दिलाया कि सुझाव पर अमल करके इंदौर को जल्द ही कोरोना वायरस से मुक्त कर इंदौर की वीरान सड़कों पर रौनक लौटने का सकारात्मक प्रयास करेंगे ।
*कृष्णकांत रोकड़े*
सांसद प्रतिनिधि