प्रशासन-पुलिस-स्वास्थ्य विभाग-नगर निगम-आपूर्ति विभाग सभी अपने अपने दायित्वों का कोरोना संकट में निर्वहन कर रहे है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा को सराहा जाना चाहिए। समाज और सरकार दोनों उनका खयाल रख रहे है।
समाज उन्हें सम्मान दे रहा है और सरकार वेतन भत्ते के साथ साथ बीमा कवर विशेष वेतन आदि देने वाली है।
लेकिन मीडिया के लिए क्या हो रहा है। पत्रकारों की ड्यूटी भी बराबरी की है,रिस्क भी उतना ही है। पर न समाज सराहना कर रहा है और न सरकार सुध ले रही है।
अखबार से भी कोरोना फैल सकता है इस मिथक ने प्रिंट मीडिया की कमर तोड़ दी है। प्रसार संख्या पर गहरा असर हुआ है। इस कारण प्रिंट मीडिया में पत्रकारों की नौकरियां और वेतन सुविधाएं प्रभावित हो रही है।
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया की अपनी समस्या है,लॉकडाउन के कारण स्थानीय चेनल बहुत मुश्किल में हैं। रीजनल चेनल क्या पेमेंट देते है किसी से छुपा नही है। राष्ट्रीय चैनलों पर तो यदाकदा ही स्टोरी आ पाती है।
वेब मीडिया जरूर बहुत प्रचलन में है लेकिन केवल व्हाट्सएप पर कितना दम मार सकता है। इस मीडिया में विज्ञापन का अकाल है जो पेड न्यूज का थोड़ा बहुत सहारा था लॉकडाउन ने छीन लिया है।
कुल मिलाकर पत्रकारों की चिंता कौन करेगा। मालिको की अपनी समस्याएं है उन्हें भी राहत चाहिए। पर वे असंवेदनशील होकर अपने पत्रकारों की चिंता नही कर रहे है( कुछ अपवाद है)।
फिर पत्रकारों की चिंता कौन करेगा।
सवाल राशन या भोजन पैकेट का नही है। सवाल रोजमर्रा के खर्च,ईएमआई,बिजली बिल,पैट्रोल, मोबाईल के खर्च और घर किराए से लेकर अनेक देनदारियों का है।
क्या सरकार को पत्रकारों पर ध्यान नही देना चाहिए?।
स्थानीय नेता,जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को भी मीडिया की चिंता नही है। उनकी नज़र में मीडियाकर्मी होना जादुई छड़ी प्राप्त कर लेना है। जिसे घुमाते ही सारी समस्याओं का हल हो सकता है।
अरे आपको क्या जरूरत है,आपको भी प्रॉब्लम है क्या,आप लोग तो सक्षम है।
हम आपकी क्या मदद करे आपके संपर्क तो बहुत ऊंचे है, जैसे वाक्यांश हमे सुनाए जाते है।
पत्रकार साथियों के लिए सरकार को जिला स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए। जनसंपर्क विभाग के पत्रकार सुविधा मद का खर्च इस काम मे हो सकता हैं।
प्रेस क्लब,पत्रकार संगठन अपने स्तर पर सहयोग कर रहे है,लेकिन जो सहयोग चाहिए उस पर किसी का ध्यान नही है।
हमे भी राहत पैकेज चाहिए।
उम्मीद है ज़िम्मेदार सुनवाई करेंगे।
(कुछ साथी इसे स्वाभिमान या अहम से जोड़ सकते है उनसे निवेदन है कि वे अपने तई अपने साथियों की मदद करे।)
तीन दिन पहले पूर्व जनसम्पर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मीडियाकर्मियों को विशेष बीमा योजना में शामिल करने के लिये मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध किया था-दुर्भाग्य रहा मुख्यमंत्री महोदय ने दो दर्जन से ज़्यादा केटेगिरी को बीमा योजना में शामिल किया सिवाय मीडिया को छोड़कर।