लॉक डाउन में तीसरी बार महू को प्रशासन द्वारा कर्फ्यू लगाने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। याने कर्फ्यू में भी असली कर्फ्यू्...! कोरोना वायरस आने से पहले याद होगा जब आम दिनों की घटनाओं में कुछ फिरका परस्त लोगों के कारण होने वाले साम्प्रदायिक दंगों, तनाव आदि कारणों के चलते जो कर्फ्यू लगाया जाता था उसमें असामाजिक तत्वों, गुण्डों और दंगाइयों को पुलिस खदेड़ती और गिरफ्तार करती रही है। इन परिस्थितियों में आम आदमी घर में बंद होकर इसका खामियाजा भोगता रहता था और मजदूर व निम्न परिवार धंधे के अभाव में भूखे पेट सोने को मजबूर होता था। यहाँ तक कि उन दिनों सार्वजनिक शौचालय में जाने पर भी आदमी को पुलिस से लुका छिपी करना होती थी और पकड़े जाने पर डंडों की बरसात होती थी। अब कोरोना वायरस के चलते स्थिति इसके पलट है, लेकिन प्रकिया वही है।
लॉक डाउन में कोरोना वायरस के खतरे को समझने वाला व्यक्ति चाहे वो गरीब हो, मध्यम वर्गीय हो या धनी वर्ग का हो, अपने घर में क़ैद होना पसंद कर रहा है क्योंकि वो जान रहा है कि कोरोना का खतरा जितना बड़ा है उतना ही उसका बचाव बहुत छोटा है कि बस घर की चार दिवारी में ही रहना है। अब तो सरकार के प्रयास से हर घर में शौचालय भी बन गए हैं जिसमें बाहर दूर तक जाने की भी आवश्यकता नहीं रह गई है। कोरोना वायरस से बचाव के लिये इतनी छोटी बात को गांवों में फिर भी समझा जा रहा है। ग्रामवासियों ने अपने गांव के मुख्य द्वार ही आम यातायात के लिये बंद कर दिये हैं और वें लॉक डाउन के चलते जैसे तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। लेकिन इसके पलट शर्मनाक स्थिति शहर में नज़र आ रही है, जहाँ पढ़े लिखे लोग रहते हैं... वहाँ कुछ लोग कोरोना के अर्थ को बहुत सहज, सरल और मजाक समझ रहे हैं जिसके कारण समूचा शहर लॉक डाउन के बीच कर्फ्यू का खामियाजा तीसरी बार भुगतने को बाध्य हो रहा है।
प्रशासन परेशान है कि वो 21 दिनों के बाद अब 19 दिनों के बढ़े हुए लॉक डाउन का पालन करवा रहा है जिसके कारण उनमें भी जिम्मेदारी निभाते हुए कोरोना का दंश झेलना पड़ रहा है। इंदौर में ही कई लोगों के बेमौत मरने के बीच एक डॉक्टर, एक टीआई, व्यापारी आदि को अपनी जान गंवानी पड़ी है, तो पुलिस और चिकित्सा वर्ग के साथ साथ कई सभ्रांत परिवारों में भी लोग कोरोना पॉजिटिव पीड़ित होकर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। लेकिन इन सबसे उन लोगों को मतलब नहीं है जो अपनी हरकतों से अब भी बाज नहीं आते हैं ऐसे निठल्ले लोग बाहर अकारण निकलते हैं, अपने घर के सदस्यों को न तो समझाते हैं और न ही उनके समझाने पर ध्यान देते हैं। कोई मौके का फायदा उठाकर पैसा कमाने के लिये कच्ची और विदेशी शराब बांटता है, कोई एक दरवाजा खोलकर तो पीछे के द्वार से महंगी कीमत पर किराना, पान बीड़ी सिगरेट, मांस, आदि की बिक्री करता है। इन चीजों को लेने वाले भी कोरोना जैसा वायरस को ठेंगा दिखाते हुए लॉक डाउन को मजाक में ले लेते हैं...और यही कारण होता है जब सोशल डिस्टैसिंग को भुलाया जाता है और एक दूसरे के सम्पर्क में आने के कारण वें कोरोना वायरस की चपेट में खुद तो आते ही हैं बल्कि घर जाकर अपने घर के सदस्यों को या राह चलते लोगों को भी यह बिमारी बांट जाते हैं।
महू का प्रशासन बहुत संतुष्ट था कि इंदौर में कोरोना पॉजीटिव निकलने के बाद भी महू शांत था और इंदौर का मीडिया बार बार महू की मीडिया से पूछता था कि क्या कोई केस है? मगर किसी को मालूम नहीं था कि चंद लापरवाह, लालची और मक्कार, मौका परस्त और मूर्ख लोगों के कारण महू में भी आखिर कोरोना का जहर फ़ैल जायेगा। कुछ लापरवाही उन जिम्मेदारों की भी रही जो कोरोना की प्राथमिक जांच को सहज ले बैठे थे। वरना रुक- रुककर हो रही मौतों ने इशारा तो कर ही दिया था जिसे प्रशासन भी भांप नहीं पाया। अब हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं.. एकदम से न सिर्फ मौतों का सिलसिला बढ़ने लगा है बल्कि ये घबराहट भी पैदा हो गई है कि कोरोना पीड़ित हर मोहल्ले, गली मेंं अपने फन फैलाने लगा है। अफसोस उन जनप्रतिनिधियों, चिकित्साकर्मियों पर भी हो रहा है जो घरों में दुबककर तमाशा देख रहे हैं। इस बीच महू के पूर्व विधायक रहे और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आशा की किरण जगाई। उन्हें जब मीडिया से भनक लगी कि महू में हालात बिगड़ रहे हैं तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कलेक्टर और डीआयजी को महू के हाल चाल जानने भेज दिया। अब महू तीसरी बार कर्फ्यू की गिरफ्त में है उस पर सख्ती यह है कि पुलिस प्रशासन के मत्थे यदि कोई मसखरा, लापरवाह, लालची, मक्कार, अज्ञानी चढ़ गया तो वह जेल नहीं बल्कि सीधे 14 दिनों के लिये क्वारांटाइन कर दिख जाएगा..याने नजरबंद!
अब भी सम्हलने का वक़्त है.... अपनी इच्छाओं, मंसूबों को काबू में रखना होगा, ताकि कोरोना का जहर भी काबू में हो और स्वत: नष्ट हो जाए। हर व्यक्ति को सख्त होकर अपने आपको सम्हलाना होगा। घर परिवार, दोस्तों और समाज को ये संदेश देना होगा कि हमें केवल इन 7 दिनों में महू से कोरोना को भगाना है। इसी संकल्प को यदि आत्मसात किया गया तो हम सब महूवासियों की निश्चित विजय तय है। जयहिन्द *- 9826013941 साप्ताहिक प्रिय पाठक*
*सम्हल जाओ तो पास है किनारा ... वरना कुछ लोगों का दण्ड भोगेगा महू सारा*