सत्ता और संगठन में मैदानी भाजपा कार्यकर्ताओं का समायोजन होगा
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्य क्षेत्र के मुख्यालय समिधा के निर्देश के बाद भाजपा ने तैयार की कार्य योजना
*मिलिंद मुजुमदार*
इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र मुख्यालय भोपाल के स्थित समिधा कार्यालय के निर्देशों के बाद प्रदेश भाजपा के कर्णधार अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत सत्ता और संगठन में अधिकाधिक मैदानी कार्यकर्ताओं को समायोजित करने में जुट गए हैं। समिधा में इसका एक्शन प्लान तैयार किया गया है। सूत्रों के अनुसार इस कवायद का लक्ष्य ना सिर्फ सितंबर में होने वाले 24 विधानसभा उपचुनाव जीतना है, बल्कि संघ ने मिशन -2023 का दूरगामी लक्ष्य भी तैयार किया है। सूत्रों के अनुसार संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन और क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते की जोड़ी ने यह कार्य योजना बनाई है। इसके मुताबिक दीनदयाल अंत्योदय समितियां और भाजपा संगठन के माध्यम से हजारों कार्यकर्ताओं को सत्ता और संगठन में समायोजित किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार सुहास भगत इस समय प्रदेश के सारे क्षत्रपों से फोन पर संपर्क कर भाजपा के शेष बचे जिला अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करने की तैयारी में हैं। जबकि भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा मुख्यमंत्री के साथ अंत्योदय समितियां गठित करने में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश स्तर की अंत्योदय समिति के उपाध्यक्ष को कैबिनेट का दर्जा होगा जबकि सदस्यों को राज्यमंत्री स्तर दिया जाएगा।इस समिति के मुखिया खुद मुख्यमंत्री होंगे। इस तरह अंत्योदय समितियां जिला और तहसील स्तर पर गठित होंगी।
पटवा सरकार के समय बनी थी
अंतोदय समितियां.....
दीनदयाल अंत्योदय समिति की योजना 1990 में स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा की सरकार के समय तैयार की गई थी। तब मध्य प्रदेश भाजपा के पितृ पुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे की सलाह के बाद स्वर्गीय पटवा ने अपने चार सबसे कुशल मंत्रियों, तत्कालीन सहकारिता मंत्री स्व.लक्ष्मी नारायण शर्मा, वित्त मंत्री स्वर्गीय रामहित गुप्त, वन मंत्री स्वर्गीय निर्भय सिंह पटेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री स्वर्गीय भेरूलाल पाटीदार को पश्चिम बंगाल के ज्योति बसु मॉडल के अध्ययन के लिए कोलकाता भेजा था। सूत्रों के मुताबिक लॉक डाउन के खुलने के पहले पखवाड़े के भीतर इन समितियों का गठन हो जाएगा।
यह है भाजपा संगठन की स्थिति...
भाजपा की दृष्टि से 56 जिले और 822 मंडल हैं। इनमें से 33 जिलों में भाजपा अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है जबकि 750 मंडलों में मंडल अध्यक्ष रायशुमारी के बाद निर्वाचित हो चुके हैं। शेष 72 मंडलों की घोषणा इसलिए रोकी गई क्योंकि वह मंडल अध्यक्ष 40 साल की उम्र का क्राइटेरिया पूरा नहीं करते थे। जबकि 24 जिलों में नेताओं की असहमति और गुटबाजी के चलते घोषणा रोक दी गई थी जिनमें इंदौर के नगर और ग्रामीण जिले शामिल हैं। विधानसभा उपचुनाव के कारण झाबुआ जिले में भाजपा संगठन के चुनाव नहीं हुए थे।
इस तरह गठित होंगी
अंत्योदय समितियां..
इनमें राजस्व जिलें, तहसीलों, नगर निगमों, पालिकाओं और नगर पंचायतों को इकाई माना जाएगा। अभी इस तरह है मध्य प्रदेश के निकायों और पंचायती संस्थाओं का गठन...
नगर निगम - 16
नगर पालिकाएं - 98
नगर परिषद(इन्हें नगर पंचायत भी कहा जाता है)- 294
त्रि-स्तरीय पंचायती राज...
जनपद पंचायत - 313
जिला पंचायत - 52
ग्राम पंचायत - 23,922
इनके अलावा मप्र में 424 तहसीलें हैं।