एमएसएमई में हुआ बदलाव, अब मध्यम श्रेणी में आने वालों को नए सिरे से कराना होगा रजिस्ट्रेशन|

नई दिल्ली |


-सरकार ने अब ढाई सौ करोड रुपए तक सालाना कारोबार करने वाले उद्योगों को भी एमएसएमई के दायरे में ले लिया है|


सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की बदली परिभाषा से उद्यमी काफी उत्साहित हैं |सरकार अब ढाई सौ करोड़ रुपए तक सालाना कारोबार करने वाले उद्योगों को भी एमएसएमई की श्रेणी में लेगी| अभी तक ₹100000000 निवेश और 5 करोड़ सालाना टर्नओवर मध्यम उद्योग माने जाते थे परंतु अब से ₹500000000 के निवेश और ढाई सौ करोड रुपए सालाना कारोबार करने वाले मध्यम उद्योग की श्रेणी में आएंगे | 1 जुलाई से मोदी सरकार का यह नया निर्णय लागू हो जाएगा|


एमएसएमई श्रेणी के उद्योगों के लिए सालाना कारोबार और प्लांट मशीनरी में निवेश का दायरा बढ़ने से 95 फीसदी उद्यमियों को फायदा होने की संभावना है केंद्र सरकार से एमएसएमई के लिए मिलने वाले फायदे को लेने के लिए उद्यमियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है| सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के हितों के संरक्षण के लिए बने औद्योगिक संगठन एमएसएमई ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला बताते हैं कि एमएसएमई के लिए बनी नई परिभाषा से उद्योग जगत में नया बदलाव आएगा युवा वर्ग के स्वरोजगार के लिए आएंगे | चावला के अनुसार केंद्र सरकार ने 200 करोड रुपए तक के सरकारी काम घरेलू कंपनी को ही देने के निर्देश दिए हैं इससे एमएसएमई का प्रभाव पड़ेगा एमएसएमई अभी तक इस तरह के बड़े काम लेने के लिए प्रयास ही नहीं करती थी अब क्योंकि प्रतिस्पर्धा भी घरेलू कंपनियों के बीच रहेगी इसलिए प्रत्येक उद्योग को अपना विस्तार करना होगा| चावला बताते हैं कि एमएसएमई में सरकारी खरीदी में 25% का आरक्षण और सरकारी कंपनियों से 45% के भुगतान की सुरक्षा सुविधा केवल सूक्ष्म और लघु उद्योग को ही मिलती है मध्यम श्रेणी के उद्योग को बैंकों से एमएसएमई के लिए बिना गारंटी का ऋण प्राप्त करने की सुविधा होगी| इसके अलावा सब्सिडी व 50 लाख से एक करोड रुपए तक क्वालिटी कंट्रोल ,अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी, आधुनिक तकनीक आदि के लिए  सब्सिडी मिलती है|


बड़े उद्योगों को एमएसएमई के दायरे में लाने से छोटे उद्योग के सामने प्रतिस्पर्धा बढ़ेंगे कि सवाल पूछने पर चावला ने कहा कि गुणवत्ता में प्रतिस्पर्धा से सूक्ष्म व लघु उद्योग को कभी पीछे नहीं हटना चाहिए|