हेलमेट की तरह ही मास्क के चालान की मिल गई अनुमति ?

शिवराज के पिछले कार्यकाल में इंदौर में एक ट्रैफिक अधिकारी बड़े लोकप्रिय हुए थे उनका नाम अधिकारियों ने हेलमेट सिंह ही रख दिया था | वे जिस क्षेत्र में जाते हेलमेट के चालान बनाते हैं इसके अलावा उनको कुछ नहीं आता था और कुछ नहीं मिला तो हेलमेट की क्वालिटी अच्छी नहीं है इसी का चालन बना लेते थे | उन्होंने इतने चालान बना दिए थे कि उनका नाम वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर  कनिष्ठ अधिकारियों तक ने हेलमेट सिंह ही रख दिया था उन्होंने इतना अधिक धन कमा लिया था कि वह हेलमेट पर एक फिल्म बनाना चाहते थे | उन्होंने उसका नाम भी सोच लिया था "हेलमेट और हसीना", "हेलमेट से प्यार",  "हेलमेट का इंतकाम", "कसम हेलमेट की", "हेलमेट का बदला" इस प्रकार के कई नाम उन्होंने रजिस्टर्ड करवा लिए थे | वह रजिस्टर जो करवाए थे वो एक सीनियर वितरक से करवाए थे ताकि किसी विवाद में ना पढ़ पाए उनका कहीं भी नाम नहीं था | लेकिन जानने वाले जानते हैं कि यह हेलमेट सिंह की ही कारस्तानी है अभी भी प्रसिद्ध है पर जहां कि उनको सेवा मिल जाती है | वह ज्यादा  टुन्न हो गए और कहा कि मैं इसमें कामयाब हो गया हूं मैंने प्रचार इस तरह से किया है....माल इस तरह से लगाया है कि नीचे से लेकर ऊपर तक अधिकारियों को समझाने में संतुष्ट रहा हूं कि जनता की जान बचानी है तो मुंह पर मास्क लगवाए और जो ना लगाएं उनका चालान बनाया जाए |



 


कई अधिकारियों के दिमाग में यह बात घर कर गई है कमाएगा तो देगा जब कमाएगा ही नहीं तो हमको कहां से देगा | इसीलिए सर्वसम्मति से यह फैसला लिया जाता है कि जिलाधीश को फुर्सत मिल जाए तो इस पर विचार विमर्श किया जाए कि चालान की कम से कम कीमत कितनी हो | वैसे चालान सिंह ने ₹1001 रखी है लेकिन सहमत नहीं है वरिष्ठ अधिकारी ₹2100 रखना चाहते हैं | जो मुंह पर मास्क लगाकर नहीं निकला उसे 3 महीने की सजा और ₹2100 दंड है | घुमक्कड़ को सूचना मिली है कि चुनाव को देखते हुए सरकार ₹100 से ज्यादा की मंजूरी नहीं देने वाली है | देखते हैं चालान सिंह का मंसूबा यह कब पूरा होता है |