जब भी कोई ब्राह्मण समाज का व्यक्ति किसी ओहदे पर पहुंचता है , ऐसे ही टांग अड़ा दी जाती है.....!


एक ओर तूफानी नेता , स्पष्टवादी कवि , साहित्यकार , भाजपा के वरिष्ठ नेता पंडित सत्यनारायण सत्तन जब वे दहाड़ते है तो अच्छे से अच्छा बगले झांकने लगता है या फिर उठकर चल देता है इतना कड़वा बोलते हैं कि उनके साथी भी डरते हैं कि पंडित जी कब किसको नंगा कर दे कब किसी की भी लू उतार दें उनका कुछ निश्चित नहीं है | उनका नाम ही सत्यनारायण है बिल्कुल कड़वा बोलते हैं , सत्य बोलते हैं उनकी वाणी में स्पष्टवादीता है | उन्होंने प्रमाण दिया कि पालीवाल समाज का संतोष मेहता उस वक्त नगर अध्यक्ष बन रहा था तब भी कुछ मठाधीशों ने टांग अड़ाई थी | ब्राह्मणवादी सरकार भाजपा की कहीं जाती है , बता दो कौन सा ब्राह्मण है जो शहर में किसी अच्छे ओहदें पर है जब वे कह रहे थे तो सब बगले झांक रहे थे|


कहते हैं कि सर्वसम्मति से उमेश शर्मा को नगर अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से चुना गया था सारे कार्यकर्ता उमेश शर्मा को इस पद पर देखना चाहते थे उमेश शर्मा भी पंडित जी जैसे स्पष्ट वादी है ओजस्वी वक्ता है | तरकों और दलीलों के साथ अपनी बात रखते हैं  वे भी कड़वी सच्चाई बोलने के लिए भी मशहूर है वह किसी की मर्यादा नहीं लांघते हैं | जनहित के लिए , गरीबों के लिए वह किसी भी सीमा पर चले जाते हैं | जब उमेश शर्मा का नाम सर्वसम्मति से लिया जा रहा था और उनका लगभग अध्यक्ष बनना तय था तो यह गौरव रणदिवे कहां से आ गया............हर किसी को मलाल था...... यह क्या हो रहा है,  यह भाजपा कहां जा रही है भाजपा की सोच कहां जा रही है | जब जनता की नीति , जनता की इच्छाओं, जनता की मान्यताओं का गला घोंट दोगे | तो जनता कैसे उखाड़ के फेंकती यह आप भूल गए हैं |