मेरे बेटे दवाई लेने मेडिकल गए और बाजार से सब्जियां ली और इसी में कहीं हमसे चूक हो गई |
सबसे पहले मैं लक्ष्मणदास पाहवानी तबीयत खराब होने पर शैलबी हॉस्पिटल के कैंटीन संचालक श्री आशु खत्री जी की मदद से शेल्बी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ| फिर मैं पॉजिटिव आने के बाद जांच उपरांत मेरी धर्मपत्नी निर्मला पाहवानी और दोनों बेटे विशाल पाहवानी और कपिल पाहवानी भी कोरोना पॉजिटिव हो गए |
घर में सिर्फ छोटा बेटा एवं बहू, बच्चे रह गए ऐसा लगा कि दुनिया के सारे दुख हमारे ही भाग्य में आ गए |
फिर कोरोना का दूसरा चेहरा देखने को मिला हर पराया अपना हो गया लोगों ने ना सिर्फ चिंता की बल्कि कुछ पारिवारिक मित्र अपना परिवार छोड़ हमारे साथ आ खड़े हुए | पारिवारिक मित्र सौरभ मंत्री और समाजसेवी गिरीश वाधवानी ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों से समन्वय बिठा ठीक होने तक हर दिन हम सभी की जिम्मेदारी संभाली |
पल भर में जैसे सारा दुख खत्म हो गया | इंदौर के जैन परिवार के विकास जैन ,पिंकेश साकरिया , विनीत रावका एवं पारिवारिक मित्र रोमी वाधवानी ने घर पर बचे सभी सदस्यों की सेहत , दवाइयां और खाने-पीने के हर सामान की जवाबदारी संभाली | एक पल मन में ऐसा भी आता था कि क्या इन लोगों के लिए रिश्तों के आगे कोरोना का डर कुछ भी नहीं लोगों ने इतना प्यार किया कि रोने का वक्त ही नहीं मिला|
शहर के ख्यात डेंटिस्ट डॉक्टर मधु नवलानी ने परिवार के सभी सदस्यों की काउंसलिंग कर यह समझाया कि कोरोना इतना खतरनाक नहीं है जितना इसका जल्द फैलना खतरनाक है |इसीलिए इससे डरने की बजाय शरीर की इम्यूनिटी इतनी स्ट्रांग कर लो कि अपना शरीर ही कोरोना से लड़ने में सक्षम हो जाए|
पीपीई किट के कारण किसी की शक्ल नहीं दिखती थी लेकिन उनकी आंखें कहती थी कि, हम हैं आपको ठीक करके ही घर भेजेंगे|
इस बीमारी ने जीवन का नजरिया बदल दिया |अब जल्द ठीक होकर हर ऐसे व्यक्ति की हर संभव मदद करना है जो किसी अभाव में हो | साफ-सफाई , सोशल डिस्टेंसिंग अब आदत बन गई है | बहुत कुछ सिखा गया यह कोरोना एक मजबूत और बेहतर इंसान बना गया यह कोरोना |अब जीना है लोगों के लिए |
(जैसा कि टाइम्स ऑफ इंदौर के नगर संवाददाता अभिषेक पुरोहित को लक्ष्मणदास पाहवानी ने बताया | )