घुमक्कड़ की सूचना को सही माना जाए तो उमाजी फिर सक्रिय हो गई है उनकी सक्रियता को देखकर शिवराज के हाथ-पांव फूल रहे हैं| टाइम्स ऑफ इंदौर के बिल्कुल नजदीक उमा जी के कट्टर समर्थकों ने बताया कि 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मिस्टर बंठाढार की पटिया उलाल करके उमाजी सत्ता में आई थी| उमा जी ने जितनी मेहनत की थी उतनी शायद किसी मुख्यमंत्री ने नहीं की थी|
वेे गांव -गांव ,गली- गली, मोहल्ले -मोहल्ले मिस्टर बंठाढार की बखिया उधेड़ती रही| उन्हें सत्ता भी मिली और वे मुख्यमंत्री भी बनी लेकिन वह एक राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हो गई| भले ही कोई कुछ भी कहे लेकिन यह घुमक्कड़ को मालूम है कि उमा जी एक राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हो गई थी| जब उमाजी राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हुई थी तब घुमक्कड़ खुद भोपाल में मौजूद था और संघ कार्यालय में बैठा हुआ था |
यहां पर संघ कार्यालय में जो बहस चल रही थी उसमें दो गुट आमने-सामने हो गए| हाईकमान ने जेटली को निर्देश दिए थे कि किसी भी कीमत में उमा को सत्ता से हटाकर बाबूलाल गौर को सत्ता में बिठा दिया जाए| बाबूलाल गौर अब दिवंगत हो चुके हैं वह सत्ता में बैठे थे, लेकिन खड़ाऊ मुख्यमंत्री साबित हुए और खांटी नेता सुंदरलाल पटवा के शिष्य शिवराज सिंह को कुर्सी पर बैठ गए | तब से आज तक शिवराज सिंह सत्ता में बैठे हुए हैं बीच में कमलनाथ की लंगड़ी सरकार आ गई थी जो डचके खा-खाकर चल रही थी लेकिन शिवराज को सत्ता में लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिवराज से कभी पटरी नहीं बैठी| यह घुमक्कड़ को मालूम है ,जो राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं और जो प्रदेश की राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं उन्हें ज्ञात है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिवराज से कभी पटरी नहीं बैठी और मैं पाठकों को जानकारी दे दूंकि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मनमानी नहीं चली तो शिवराज बाहर किए जा सकते हैं| वैसे शिवराज ठंडे हैं सहनशील है ठंडा करके खाते हैं | उन्हें पता है कि शनि महाराजाओं को दूर कैसे रखा जाता है इस मामले में उन्हें उनके गुरु सिखा गए हैं | पाठकों को मैं बता दूं कि तब देश के प्रधानमंत्री "पामुलापार्थी वेंकट नरसिम्हा राव" थे उन्होंने कभी भी अर्जुन सिंह को घास नहीं डाली | ठीक वैसे ही शिवराज कैलाश जी को दूर रखते है जितना भी कैलाश जी नजदीक जाने की कोशिश करते हैं फिर टल्ला मार देते हैं |
इस बार उमा भारती मांझा सूतकर आयी है उनके समर्थकों के चेहरे पर व्यंगयभरी मुस्कान किसी खतरे का संकेत दे रही है| यदि शिवराज ने समझौता किया तो ठीक नहीं तो.........? जय चारभुजा री |